# तुलसी जी की दो सेवायें हैं ।
प्रथम सेवा - तुलसी की जड़ो में ...प्रतिदिन जल अर्पण करते रहना ! केवल एकादशी को छोड़ कर।
द्वितीय सेवा - तुलसी की मंजरियों को तोड़कर तुलसी को पीड़ा मुक्त करते रहना ,
क्योंकि ~ ये मंजरियाँ तुलसी जी को बीमार करके सुखा देती हैं ! जब तक ये मंजरियाँ तुलसी जी के शीश पर रहती हैं , तब तक तुलसी माता घोर कष्ट पाती हैं !
इन दो सेवाओं को …श्री ठाकुर जी की सेवा से कम नहीं माना गया है !
इनमें कुछ सावधानियाँ रखने की आवश्यक्ता है !
जैसे ~ तुलसी दल तोड़ने से पहले तुलसीजी की आज्ञा ले लेनी चाहिए ! सच्चा वैष्णव बिना आज्ञा लिए … तुलसी दल को स्पर्श भी नहीं करता है !
रविवार और द्वादशी के दिन तुलसी दल को नहीं तोड़ना चाहिए , तथा कभी भी नाखूनों से तुलसी दल को नहीं तोड़ना चाहिए !
कारण -- तुलसीजी श्री ठाकुर जी की आज्ञा से केवल इन्ही दो दिनों विश्राम और निंद्रा लेती हैं ! बाकी के दिनों में वो एक छण के लिए भी सोती नही हैं और ना ही विश्राम लेती हैं ! आठों पहर ठाकुर जी की ही … सेवा में लगी रहती हैं !
न ही एकादशी को जल देना चाहिये क्यो की इस दिन तुलसी महारानी भी ठाकुर जी के लिये निर्जल व्रत रखती हैं । ऐसा करने से महापाप लगता है !
(साभार - अनजान, व्हाट्सएप से प्राप्त)
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