Tuesday 20 October 2020

नवरात्रि

 


नवरात्रि - सृष्टि निर्माण शून्य (महा-लया, लय = शून्य में मिलना) से ९ क्रम में हुआ है। इसे सृष्टि का ९ सर्ग कहा है। हर सर्ग का निर्माण चक्र एक एक काल-मान है। भागवत पुराण में शून्य को मिला कर १० सर्ग कहा है। निर्माण शान्त स्थिति में होता है, अतः उसे रात्रि कहते हैं। 

देश में जब अव्यवस्था हो तो निर्माण नहीँ हो सकता। इलेक्ट्रॉनिक मशीन में जब शान्ति हो तभी सन्देश जाता है नहीं तो हल्ला (noise) में छिप जाता है। अतः निर्माण १० रात्रि में कहा गया है। पृथ्वी सतह पर जब सूर्य उत्तर की तरफ जाता है, वह दिन है। 

आश्विन मास में दक्षिण दिशा में सूर्य विषुव रेखा को पार कर दक्षिण जाता है। उसमें महालया तथा नवरात्रि मिला कर १० रात्रि में निर्माण होता है।

मनुष्य शरीर का निर्माण भी १० दिन अर्थात् चन्द्रमा की १० परिक्रमा (२७३ पृथ्वी दिन) में होता है। प्रेत शरीर चन्द्रमा सतह पर है, उसका निर्माण पृथ्वी की १० परिक्रमा या १० दिन में होता है। आकाश में निर्माण के सर्ग थे - शून्य, सलिल (बड़े बादल), ब्रह्माण्ड (आकाशगंगा)। उसकी अक्ष परिक्रमा एक दिन है। उस समय तक सूर्य और ग्रह नहीँ बने थे। ग्रह कक्षा बनने के बाद अभी तक आकाशगंगा की ६ परिक्रमा पूरी हुयी है और ७वीं चल रही है जिसे ७वां मन्वन्तर कहते हैं।

(साभार -  श्री अरुण उपाध्याय)

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