हिन्दू धर्म में जब भी कभी कोई पूजा हो या कोई भी मांगलिक कार्य हो उसकी शुरुआत तिलक के साथ ही की जाती हैं। इसी के साथ ही मंदिर में या लोग सुबह घर से निकलने के दौरान भी तिलक लगाकर निकलते हैं । धार्मिक नजरिए से माथे पर तिलक लगाने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है। वहीं वैज्ञानिक नजरिए की बात की जाए तो दोनों आंखों के बीच में आज्ञा चक्र होता है। इस आज्ञा चक्र पर टीका लगाने पर हमारी एकाग्रता बढ़ती है। माथे पर तिलक लगाते समय उंगली का जो दबाव माथे पर बनता है उससे नसों का रक्त संचार काबू में रहता है और शरीर में नई ऊर्जा का संचार होने लगता है। तिलक लगाने से एकाग्रता में बढ़ोतरी होती है। शरीर से आलस्य दूर होता है और दिमागी शक्ति में इजाफा होता है और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है । माथे पर नियमित रूप से तिलक लगाने से नाड़ी मंडल की परिशुद्ध सक्रियता से इनसोमनिया और साइनस जैसे रोग से छुटकारा मिलता है।
योगी लोग मेडिटेशन शुरू करने से पहले अपने माथे पर तिलक और त्रीपुण्ड लगाते है क्योंकि इसी जगह पर आज्ञा चक्र में उपस्थित पिण्ड में जुड़ी सभी नाड़ियों का समूह होता है।
पुराणों में वर्णन मिलता है कि संगम तट पर गंगा स्नान के बाद तिलक लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है की स्नान करने के बाद पंडों द्वारा विशेष तिलक अपने भक्तों को लगाया जाता है। माथे पर तिलक लगाने के पीछे आध्यात्मिक महत्व है। दरअसल, हमारे शरीर में सात सूक्ष्म ऊर्जा केंद्र होते हैं, जो अपार शक्ति के भंडार हैं। इन्हें चक्र कहा जाता है। माथे के बीच में जहां तिलक लगाते हैं, वहां आज्ञाचक्र होता है। यह चक्र हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है, जहां शरीर की प्रमुख तीन नाडि़यां इड़ा, पिंगला व सुषुम्ना आकर मिलती हैं इसलिए इसे त्रिवेणी या संगम भी कहा जाता है। यह गुरु स्थान कहलाता है। यहीं से पूरे शरीर का संचालन होता है। यही हमारी चेतना का मुख्य स्थान भी है। इसी को मन का घर भी कहा जाता है। इसी कारण यह स्थान शरीर में सबसे ज्यादा पूजनीय है। योग में ध्यान के समय इसी स्थान पर मन को एकाग्र किया जाता है।
तिलक लगाने से एक तो स्वभाव में सुधार आता हैं व देखने वाले पर सात्विक प्रभाव पड़ता हैं। तिलक जिस भी पदार्थ का लगाया जाता हैं उस पदार्थ की ज़रूरत अगर शरीर को होती हैं तो वह भी पूर्ण हो जाती हैं। तिलक किसी खास प्रयोजन के लिए भी लगाये जाते हैं जैसे यदि मोक्षप्राप्ती करनी हो तो तिलक अंगूठे से, शत्रु नाश करना हो तो तर्जनी से, धनप्राप्ति हेतु मध्यमा से तथा शान्ति प्राप्ति हेतु अनामिका से लगाया जाता हैं।
आमतौर से तिलक अनामिका द्वारा लगाया जाता हैं और उसमे भी केवल चंदन ही लगाया जाता हैं तिलक संग चावल लगाने से लक्ष्मी को आकर्षित करने का तथा ठंडक व सात्विकता प्रदान करने का निमित छुपा हुआ होता हैं। अतः प्रत्येक व्यक्ति को तिलक ज़रूर लगाना चाहिए।
हिंदू परिवारों में किसी भी शुभ कार्य में "तिलक या टीका" लगाने का विधान हैं। यह तिलक कई वस्तुओ और पदार्थों से लगाया जाता हैं। इनमें हल्दी, सिन्दूर, केशर, भस्म और चंदन आदि प्रमुख हैं, माथे पर हल्दी का चंदन लगाने से त्वचा शुद्ध होती है क्योंकि हल्दी में एंटी बेक्ट्रियल तत्व होते है जिससे रोगों से निजात मिलती है। माथे पर चंदन, रोली, कुमकुम, सिंदूर या भस्म का तिलक लगाया जाता है। तिलक लगाने की केवल धार्मिक मान्यता नहीं है बल्कि इसके कई वैज्ञानिक कारण भी हैं।
हिंदू धर्म में जितने संतों के मत हैं, जितने पंथ है, संप्रदाय हैं उन सबके अपने अलग-अलग तिलक निशान होते हैं। तंत्र शास्त्र में पंच गंध या अस्ट गंध से बने तिलक लगाने का बड़ा ही महत्व है तंत्र शास्त्र में शरीर के तेरह भागों पर तिलक करने की बात कही गई है, लेकिन समस्त शरीर का संचालन मस्तिष्क करता है। इसलिए इस पर तिलक करने की परंपरा अधिक प्रचलित है।
सिंदूर का तिलक
माथे पर सिंदूर का तिलक लगाने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आप चाहें तो शुक्रवार के दिन लाल सिंदूर का तिलक मां लक्ष्मी को चढ़ाने के साथ ही अपने माथे पर लगाएं। इससे आपका तनाव कम होने के साथ ही आपको मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होगी। इसके अलावा आपके घर में सुख समृद्धि आती है और भौति क सुख-सुविधाओं में इजाफा होता है।
श्रीखंड चंदन का तिलक
शमी की लकड़ी से श्रीखंड चंदन का तिलक लगाने से शनि के दोष दूर होते हैं। शमी की लकड़ी को शनि की दशा दूर करने के लिए बहुत ही असरदार माना जाता है। शनिवार के दिन शमी के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से बहुत लाभ होता है।
भभूत का तिलक
भभूत या फिर श्मशान की भस्म से तिलक करने पर भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। भभूत भगवान शिव की प्रिय वस्तुओं में से एक माना जाता है। भगवान शिव की पूजा में भभूत का प्रयोग अनिवार्य माना जाता है।
केसर और हल्दी का तिलक
केसर और हल्दी का सीधा संबंध गुरु ग्रह से होता है। अगर आपकी कुंडली में गुरु की दशा चल रही है तो आप रोजाना स्नान के बाद केसर या फिर हल्दी का तिलक लगाकर ही घर से किसी काम से निकलें। गुरुवार के दिन हल्दी और केसर का तिलक लगाने से विशेष लाभ होता है। ऐसा करने से गुरु ग्रह के सारे दोष खत्म हो जाते हैं। सफेद चंदन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए।
लाल चंदन
लाल चंदन का तिलक लगाने से गणेशजी प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही लाल चंदन का तिलक लगाने से सूर्य और बुध ग्रह भी मजबूत होते हैं। इसके साथ ही पूजा की सुपारी को घिसकर उसका तिलक माथे पर लगाने भी बुध की दशा में लाभ होता है।
एक मान्यता के अनुसार माथे के बीच खड़ा तिलक, भगवान श्रीराम के चरणों का द्योतक है। अंगूठे से गोल बिंदु व अनामिका से ऊपर की ओर लंबा तिलक ऊपर से रंगीन या गीले चावल लगाए जाते हैं।
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(Courtesy - Unknown WhatsApp forwarded message)
योगी लोग मेडिटेशन शुरू करने से पहले अपने माथे पर तिलक और त्रीपुण्ड लगाते है क्योंकि इसी जगह पर आज्ञा चक्र में उपस्थित पिण्ड में जुड़ी सभी नाड़ियों का समूह होता है।
पुराणों में वर्णन मिलता है कि संगम तट पर गंगा स्नान के बाद तिलक लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है की स्नान करने के बाद पंडों द्वारा विशेष तिलक अपने भक्तों को लगाया जाता है। माथे पर तिलक लगाने के पीछे आध्यात्मिक महत्व है। दरअसल, हमारे शरीर में सात सूक्ष्म ऊर्जा केंद्र होते हैं, जो अपार शक्ति के भंडार हैं। इन्हें चक्र कहा जाता है। माथे के बीच में जहां तिलक लगाते हैं, वहां आज्ञाचक्र होता है। यह चक्र हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है, जहां शरीर की प्रमुख तीन नाडि़यां इड़ा, पिंगला व सुषुम्ना आकर मिलती हैं इसलिए इसे त्रिवेणी या संगम भी कहा जाता है। यह गुरु स्थान कहलाता है। यहीं से पूरे शरीर का संचालन होता है। यही हमारी चेतना का मुख्य स्थान भी है। इसी को मन का घर भी कहा जाता है। इसी कारण यह स्थान शरीर में सबसे ज्यादा पूजनीय है। योग में ध्यान के समय इसी स्थान पर मन को एकाग्र किया जाता है।
तिलक लगाने से एक तो स्वभाव में सुधार आता हैं व देखने वाले पर सात्विक प्रभाव पड़ता हैं। तिलक जिस भी पदार्थ का लगाया जाता हैं उस पदार्थ की ज़रूरत अगर शरीर को होती हैं तो वह भी पूर्ण हो जाती हैं। तिलक किसी खास प्रयोजन के लिए भी लगाये जाते हैं जैसे यदि मोक्षप्राप्ती करनी हो तो तिलक अंगूठे से, शत्रु नाश करना हो तो तर्जनी से, धनप्राप्ति हेतु मध्यमा से तथा शान्ति प्राप्ति हेतु अनामिका से लगाया जाता हैं।
आमतौर से तिलक अनामिका द्वारा लगाया जाता हैं और उसमे भी केवल चंदन ही लगाया जाता हैं तिलक संग चावल लगाने से लक्ष्मी को आकर्षित करने का तथा ठंडक व सात्विकता प्रदान करने का निमित छुपा हुआ होता हैं। अतः प्रत्येक व्यक्ति को तिलक ज़रूर लगाना चाहिए।
हिंदू परिवारों में किसी भी शुभ कार्य में "तिलक या टीका" लगाने का विधान हैं। यह तिलक कई वस्तुओ और पदार्थों से लगाया जाता हैं। इनमें हल्दी, सिन्दूर, केशर, भस्म और चंदन आदि प्रमुख हैं, माथे पर हल्दी का चंदन लगाने से त्वचा शुद्ध होती है क्योंकि हल्दी में एंटी बेक्ट्रियल तत्व होते है जिससे रोगों से निजात मिलती है। माथे पर चंदन, रोली, कुमकुम, सिंदूर या भस्म का तिलक लगाया जाता है। तिलक लगाने की केवल धार्मिक मान्यता नहीं है बल्कि इसके कई वैज्ञानिक कारण भी हैं।
हिंदू धर्म में जितने संतों के मत हैं, जितने पंथ है, संप्रदाय हैं उन सबके अपने अलग-अलग तिलक निशान होते हैं। तंत्र शास्त्र में पंच गंध या अस्ट गंध से बने तिलक लगाने का बड़ा ही महत्व है तंत्र शास्त्र में शरीर के तेरह भागों पर तिलक करने की बात कही गई है, लेकिन समस्त शरीर का संचालन मस्तिष्क करता है। इसलिए इस पर तिलक करने की परंपरा अधिक प्रचलित है।
सिंदूर का तिलक
माथे पर सिंदूर का तिलक लगाने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आप चाहें तो शुक्रवार के दिन लाल सिंदूर का तिलक मां लक्ष्मी को चढ़ाने के साथ ही अपने माथे पर लगाएं। इससे आपका तनाव कम होने के साथ ही आपको मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होगी। इसके अलावा आपके घर में सुख समृद्धि आती है और भौति क सुख-सुविधाओं में इजाफा होता है।
श्रीखंड चंदन का तिलक
शमी की लकड़ी से श्रीखंड चंदन का तिलक लगाने से शनि के दोष दूर होते हैं। शमी की लकड़ी को शनि की दशा दूर करने के लिए बहुत ही असरदार माना जाता है। शनिवार के दिन शमी के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से बहुत लाभ होता है।
भभूत का तिलक
भभूत या फिर श्मशान की भस्म से तिलक करने पर भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। भभूत भगवान शिव की प्रिय वस्तुओं में से एक माना जाता है। भगवान शिव की पूजा में भभूत का प्रयोग अनिवार्य माना जाता है।
केसर और हल्दी का तिलक
केसर और हल्दी का सीधा संबंध गुरु ग्रह से होता है। अगर आपकी कुंडली में गुरु की दशा चल रही है तो आप रोजाना स्नान के बाद केसर या फिर हल्दी का तिलक लगाकर ही घर से किसी काम से निकलें। गुरुवार के दिन हल्दी और केसर का तिलक लगाने से विशेष लाभ होता है। ऐसा करने से गुरु ग्रह के सारे दोष खत्म हो जाते हैं। सफेद चंदन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए।
लाल चंदन
लाल चंदन का तिलक लगाने से गणेशजी प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही लाल चंदन का तिलक लगाने से सूर्य और बुध ग्रह भी मजबूत होते हैं। इसके साथ ही पूजा की सुपारी को घिसकर उसका तिलक माथे पर लगाने भी बुध की दशा में लाभ होता है।
एक मान्यता के अनुसार माथे के बीच खड़ा तिलक, भगवान श्रीराम के चरणों का द्योतक है। अंगूठे से गोल बिंदु व अनामिका से ऊपर की ओर लंबा तिलक ऊपर से रंगीन या गीले चावल लगाए जाते हैं।
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