Wednesday, 18 December 2024

महाकुंभ मेला ||

 


☀️ ||  महाकुंभ मेला  ||☀️

{13 जनवरी 2025 } 


पौष पूर्णिमा के दिन यानी 13 जनवरी 2025 को प्रयागराज में कुंभ मेले का आयोजन किया जाएगा और इस दिन पहला शाही स्नान भी होगा और महाशिवरात्रि के दिन अंतिम शाही स्नान के साथ समापन भी हो जाएगा।


🔸महाकुंभ में स्नान करने से सभी पाप हो जाते हैं नष्ट-: 

साल 2025 में प्रयागराज के संगम किनारे इस मेले का आयोजन किया जा रहा है। संगम के दौरान गंगा और यमुना नदी का साक्षात रूप देखने को मिलता है और सरस्वती नदी का अद्श्य रूप से मिलन होता है, इस वजह से प्रयागराज का महत्व और भी बढ़ जाता है। वैसे तो प्रयागराज के अलावा उज्जैन, नासिक और हरिद्वार में अर्धकुंभ मेला हर 6 साल पर आयोजित किया जाता है। लेकिन साल 2025 में होने वाला महाकुंभ मेला का महत्व सबसे ज्यादा होता है। धार्मिक मान्यताओं को अनुसार, महाकुंभ मेला के दौरान प्रयागराज में स्नान व ध्यान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है//


🔸13 जनवरी 2025 से शुरू होगा महाकुंभ मेला-: 

कुंभ मेला भारत के चार तीर्थ स्थल प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक, उज्जैन में लगता है। साल 2025 में महाकुंभ मेला प्रयागराज में 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन शुरू होगा और 26 फरवरी महाशिवरात्रि व्रत के दिन शाही स्नान के साथ कुंभ मेले का समापन हो जाएगा। प्रयागराज के तट पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियां मिलती हैं और इस संगम तट पर स्नान करने को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साल 2025 में पौष पूर्णिमा के दिन ही पहला शाही स्नान होगा और सबसे पहले शाही नागा साधु स्नान करने का मौका मिलता है क्योंकि नागा साधुओं को हिंदू धर्म का सेनापति माना जाता है//

 

🔸इस चार स्थानों पर होता है कुंभ मेले का आयोजन-: 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत कलश निकला था तब उसकी कुछ बूंदे कलश से प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिरीं थी इसलिए इन चार स्थानों पर ही कुंभ मेले का आयोजन होता है। महाकुंभ मेला में शाही स्नान का विशेष महत्व होता है और इस दौरान हर अखाड़ा अपने शाही लाव-लश्कर के साथ संगम के तट पर पहुंचता है और सभी नाचते गाते संगम तट पर पहुंचते हैं और स्नान करते हैं//


🔸कब और कैसे आयोजित होता है कुंभ मेला-: 

                 (ज्योतिष सिद्धांत) 


प्रयागराज-: 

* जब बृहस्पति देव यानी गुरु ग्रह वृषभ राशि में हों, जो अभी इसी राशि में मौजूद हैं और सूर्य ग्रह मकर राशि में हों, जो 14 जनवरी 2025 में सूर्य मकर राशि में गोचर करेंगे, तब कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज में होता है। प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम होता है//


हरिद्वार-: 

* जब सूर्य ग्रह मेष राशि में गोचर कर चुके हों और बृहस्पति देव कुंभ राशि में गोचर कर चुके हों, तब कुंभ मेले का आयोजन हरिद्वार में आयोजित किया जाता है। हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर मेले का आयोजन होता है//


नासिक-: 

* जब सिंह राशि में गुरु ग्रह और सूर्य ग्रह दोनों मौजूद होते हों, तब कुंभ मेले का आयोजन महाराष्ट्र के नासिक में होता है। नासिक में गोदावरी नदी के तट कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है//


उज्जैन-: 

* जब सूर्य ग्रह मेष राशि में विराजमान हों और गुरु ग्रह सूर्यदेव की राशि सिंह में विराजमान हों, तब उज्जैन में कुंभ मेले का आयोजन होता है। उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर कुंभ मेले का आयोजन होता है//


🔸कुंभ और महाकुंभ में अंतर-: 

कुंभ मेला हर तीन साल में एक एक बार उज्जैन, प्रयागराज, हरिद्वार और नासिक में आयोजित होता है। 

अर्ध कुंभ मेला 6 साल में एक बार हरिद्वार और प्रयागराज के तट पर आयोजिक किया जाता है। वहीं पूर्ण कुंभ मेला 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है, जो प्रयागराज में होता है। 12 कुंभ मेला पूर्ण होने पर एक महाकुंभ मेले का आयोजन होता है, इससे पहले महाकुंभ प्रयाराज में साल 2013 में आयोजित हुआ था।


🔸शाही स्नान-: 

13 जनवरी 2025- पौष पूर्णिमा

14 जनवरी 2025 - मकर संक्रांति

29 जनवरी 2025- मौनी अमावस्या

3 फरवरी 2025 - वसंत पंचमी

12 फरवरी - माघी पूर्णिमा

26 फरवरी - महाशिवरात्रि पर्व (अंतिम शाही स्नान)



👏🙏👏🙏

(साभार - श्रीमन भीम शास्त्री)


No comments:

Post a Comment