Thursday 30 April 2020

हिन्दू धर्म के चमत्कारिक मंत्र….

‘मंत्र’ का अर्थ होता है मन को एक तंत्र में बांधना। यदि अनावश्यक और अत्यधिक विचार उत्पन्न हो रहे हैं और जिनके कारण चिंता पैदा हो रही है, तो मंत्र सबसे कारगर औषधि है। आप जिस भी ईष्ट की पूजा, प्रार्थना या ध्यान करते हैं उसके नाम का मंत्र जप सकते हैं। 

मंत्र 3 प्रकार के हैं-  सात्विक, तांत्रिक और साबर। 
सभी मंत्रों का अपना-अलग महत्व है। प्रतिदिन जपने वाले मंत्रों को सात्विक मंत्र माना जाता है।
आईये समझते  हैं ऐसे कौन से मंत्र हैं जिनमें से किसी एक को प्रतिदिन जपना चाहिए जिससे मन की शक्ति ही नहीं बढ़ती, बल्कि सभी संकटों से मुक्ति भी मिलती है।
इन मंत्रों के जप या स्मरण के वक्त सामान्य पवित्रता का ध्यान रखें। जैसे घर में हो तो देवस्थान में बैठकर, कार्यालय में हो तो पैरों से जूते-चप्पल उतार कर इन मंत्र और देवताओं का ध्यान करें। इससे आप मानसिक बल पाएंगे, जो आपकी ऊर्जा को जरूर बढ़ाने वाले साबित होंगे। 

1. क्लेशनाशक मंत्र :
ॐ श्रीकृष्णाय शरणं मम।
 या 
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:॥
मंत्र प्रभाव : 
इस मंत्र का नित्य जप करने से कलह और क्लेशों का अंत होकर परिवार में खुशियां वापस लौट आती हैं। प्रतिदिन पहले मंत् का जप तब करना चाहिए जबकि आप श्रीकृष्ण के अलावा अन्य किसी देवी या देवता में चित्त नहीं रमाते हो। कृष्ण की शरण में होने के बाद फिर किसी अन्य को नहीं भजना चाहिए।

2. शांतिदायक मंत्र :
राम… राम… राम….
मंत्र प्रभाव :
हनुमानजी भी राम नाम का ही जप करते रहते हैं।  कहते हैं राम से भी बढ़कर श्रीराम का नाम है। इस मंत्र का निरंतर जप करते रहने से मन में शांति का प्रसार होता है, चिंताओं से छुटकारा मिलता है तथा दिमाग शांत रहता है। राम नाम के जप को सबसे उत्तम माना गया है। यह सभी तरह के नकारात्मक विचारों को समाप्त कर देता है और हृदय को निर्मल बनाकर भक्ति भाव का संचार करता है। 

3. चिंता मुक्ति मंत्र :
ॐ नम: शिवाय। 
मंत्र प्रभाव : 
इस मंत्र का निरंतर जप करते रहने से चिंतामुक्त जीवन मिलता है। यह मंत्र जीवन में शांति और शीतलता प्रदान करता है। शिवलिंग पर जल व बिल्वपत्र चढ़ाते हुए यह शिव मंत्र बोलें व रुद्राक्ष की माला से जप भी करें। तीन शब्दों का यह मंत्र महामंत्र है। 

4. संकटमोचन मंत्र : 
ॐ हं हनुमते नम:। 
मंत्र प्रभाव : 
यदि दिल में किसी भी प्रकार की घबराहट, डर या आशंका है तो निरंतर प्रतिदिन इस मंत्र का जप करें और फिर निश्चिंत हो जाएं। किसी भी कार्य की सफलता और विजयी होने के लिए इसका निरंतर जप करना चाहिए। यह मंत्र आत्मविश्वास बढ़ाता है। हनुमानजी को सिंदूर, गुड़-चना चढ़ाकर इस मंत्र का नित्य स्मरण या जप सफलता वा यश देने वाला माना गया है। यदि मृत्युतुल्य कष्ट हो रहा है, तो इस मंत्र का तुरंत ही जप करना चाहिए। 

5. शांति, सुख और समृद्धि हेतु :
भगवान विष्णु के वैसे तो बहुत मंत्र हैं, लेकिन यहां कुछ प्रमुख प्रस्तुत हैं।
पहला मंत्र : 
ॐ नमो नारायण।
 या
श्रीमन नारायण नारायण हरि-हरि।
दूसरा मंत्र :
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।। 
तीसरा मंत्र : 
ऊं नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। 
चौथा मंत्र :
त्वमेव माता च पिता त्वमेव। त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।। 
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव। त्वमेव सर्व मम देवदेव।।
पांचवां मंत्र :
शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।।
लक्ष्मीकान्तंकमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्। वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।। 
मंत्र प्रभाव : 
भगवान विष्णु को जगतपालक माना जाता है। वे ही हम सभी के पालनहार हैं इसलिए पीले फूल व पीला वस्त्र चढ़ाकर उक्त किसी एक मंत्र से उनका स्मरण करते रहेंगे, तो जीवन में सकारात्मक विचारों और घटनाओं का विकास होकर जीवन खुशहाल बन जाएगा।  विष्णु और लक्ष्मी की पूजा एवं प्रार्थना करते रहने से सुख और समृद्धि का विकास होता है

(साभार - श्री हरि मंदिर चंडीगढ़)

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